राख का स्थायी उपयोग एन टी पी सी का प्रमुख विचारणीय विषय है। वर्ष 1991 में स्थापित राख उपयोगिता प्रभाग (ए यू डी) अपने कोयला आधारित पावर स्टेशनों पर बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादित राख का अधिकतम उपयोग करने का प्रयास करता है। ए यू डी, राख के उपयोग के लिए अत्यंत सक्रियतापूर्वक नीतियां, योजनाएं और कार्यक्रम तैयार करता है। इसके अतिरिक्त इन गतिविधियों में हुई प्रगति की निगरानी करता है तथा राख के उपयोग के लिए नए घटक विकसित करने के संबंध में काम करता है। प्रत्येक स्टेशन पर राख उपयोगिता विभाग, राख उपयोग से जुड़ी गतिविधियां संभालता है।
एन टी पी सी के पावर स्टेशनों पर उत्पादित राख की गुणवत्ता, इसके परिष्करण, निम्न अदहित कार्बन के संबंध में अत्यधिक अच्छी होती है तथा इसमें उच्च पोजोलैनिक क्रियाकलाप मौजूद होने के कारण यह सीमेंट, सीमेंट मोरटार तथा कंक्रीट में पोजोलाना के रुप में प्रयोग आई एस 3812-2003 पलवराइज्ड ईधन राख की आवश्यकता के अनुरुप होती है। एन टी पी सी स्टेशनों पर उत्पादित राख (उड़न राख) सीमेंट, कंक्रीट, कंक्रीट उत्पाद, सेल्युलर कंक्रीट उत्पाद, ईंट/ब्लाक/टाइल आदि के विनिर्माण में इस्तेमाल के लिए आदर्श सामग्री है। अंतिम प्रयोगकर्ताओं को शुष्क राख (ड्राई ऐश) उपलब्ध कराने के लिए कोयला आधारित स्टेशनों पर उसे उठाने और भंडारण करने की प्रणाली विकसित की गई है। इसके अतिरिक्त, एन टी पी सी रिहंद में रेल वैगनों में शुष्क राख की लदान के लिए सुविधा उपलब्घ कराई गई है ताकि रेलवे नेटवर्क के जरिए बड़ी मात्रा में उड़न राख ले जाई जा सके। ऐसी सुविधा नए स्थापित किए जाने वाले कोयला आधारित सभी पावर स्टेशनों पर भी उपलब्ध कराई जा रही है।
पिछले अनेक वर्षों में राख उपयोग का स्तर 1991-1992 में मात्र 0.3 मिलियन टन की अल्प मात्रा से बढ़ कर 2010-11 में 26.03 मिलियन टन हो गया है।
राख उपयोग के विभिन्न घटकों में वर्तमान में सीमेंट, एस्बेस्टस – सीमेंट उत्पाद और कंक्रीट विनिर्माण उद्योग, भूमि विकास, सड़क तटबंध निर्माण, ऐश डाईक रेजिंग, भवन निर्माण सामग्री जैसे कि ईंट/ब्लाक/टाइल, कोयले की खानों का पुन:उद्धार तथा कृषि में मृदा सुधार की सूक्ष्म तथा स्थूल पोषक तत्वों के स्रोत के रुप में उपयोग किया जाना शामिल है।


निर्माण क्षेत्र में फ्लाई ऍश ब्रिक्स के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विद्युत संयंत्रों के 100 किमी. के भीतर स्थित नजदीकी क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने के लिए एनटीपीसी द्वारा जागरूकता/प्रशिक्षण कार्यक्रम/कार्यशाला का आयोजन किया गया।
नीति आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसरण में, निम्नलिखित विवरणों के अनुसार विद्युत संयंत्रों के 100 किमी. तक दूरी वाले नजदीकी ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यशाला/प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये गये।
S.No. | Name of NTPC station | Workshop/Training Venue | Date |
---|---|---|---|
1 | NTPC Sipat | RatanPur ,Dist Bilapur (C.G.) Kawardha (CG) | 28.03.2017 31.07.2017 |
2 | NTPC Tanda | Dist. Head quarter ,Basti (U.P.) | 29.06.2017 |
3 | NTPC Talcher-Kaniha | Odash Stadium ,Khamar.Distt .Angul ( Odisha) | 17.07.2017 |
4 | NTPC Mouda | At EDC NTPC Mouda | 25.07.2017 |
5 | NTPC Rihand | At Sirsoti Village Distt : Sonebhadra (U.P.) At Mayur Pur Distt Sonebhadra(U.P.) | 28.07.2017 09.08.2017 |
6 | NTPC Korba | Samudayik Bhawan, Dhanras village, Korba(CG | 29.07.2017 |
7 | NTPC-Vindyachal | At NTPC Vindyachal Training Center | 31.07.2017 |
8 | Ramagundam | At Training Centre Ramagundam | 26.08.2017 |
9 | NTPC Unchahar | At Unchahar | 29.08.2017 |
10 | NTPC Farakka | Planned on 13.09.2017 |
एनटीपीसी सीपत द्वारा 28.03.2017 एवं 31.03.2017 को जागरूकता/प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया
फ्लाई ऍश उपयोग के लिए एमओईएफ अधिसूचना-2009 यथासंशोधित 2016 के अनुसरण में, नजदीकी क्षेत्रों में ब्रिक विनिर्माण में फ्लाई ऍश के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एनटीपीसी सीपत द्वारा 28.03.2017 को रतनपुर, जिला बिलासपुर में और 31.07.2018 को कवरदा (छत्तीसगढ़) में एक कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें मुख्यतः ब्रिक विनिर्माण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्राधिकरणों के 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में लाल ईंट की जगह फ्लाई ऍश ब्रिक्स लगाने के लाभ और फ्लाई ऍश ब्रिक बनाने की प्रक्रिया को समझाया गया। फ्लाई ऍश ब्रिक्स, उच्च वॉल्यूम ऍश क्ले ब्रिक्स, सड़क के किनारों, सीमेंट कंक्रीट और कृषि में ऍश के उपयोग पर जानकारी से शामिल एक पत्रिका भी प्रतिभागियों के बीच बांटी गई।
जिला प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरणों के साथ ब्रिक विनिर्माताओं एवं स्थानीय लोगों ने कार्यशाला में भाग लिया। कवरधा में ब्रिक विनिर्माण यूनिटों एवं स्थानीय उद्यमियों को मिलाकर लगभग 50 प्रतिभागियों ने कार्यशाला में भाग लिया। कार्यशाला में प्रतिभागियों ने सरकारी निर्माण कार्यकलापों सहित सभी निर्माण कार्यकलापों में फ्लाई ऍश ब्रिक्स का उपयोग अनिवार्य करने की मांग की। कार्यशाला की अध्यक्षता कवरधा (छत्तीसगढ़) के कलेक्टर ने की और थर्मल पावर स्टेशनों द्वारा ब्रिक विनिर्माण साइट पर फ्लाई ऍश के परिवहन के बारे में समझाया। एनटीपीसी ने बताया कि ब्रिक यूनिट तक फ्लाई ऍश के परिवहन के लिए ऐसे दिशानिर्देशों को एनटीपीसी द्वारा अंतिम रूप दे दिया गया है। एनटीपीसी ने बताया कि एनटीपीसी स्टेशनों पर फ्लाई ऍश "निःशुल्क"' उपलब्ध है।
एनटीपीसी टांडा द्वारा जिला मुख्यालय बस्ती (उ.प्र.) में जागरूकता/प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया
एनटीपीसी टांडा द्वारा जिला मुख्यालय बस्ती (उ.प्र.) में 29th जून, 2017 को "ऍश ब्रिक विनिर्माण" पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न फ्लॉई ऍश ब्रिक तकनीकों के बारे में उद्यमियों/स्थानीय गांववालों के बीच जागरूकता बढ़ाना और ऍश ब्रिक प्लांट की स्थापना के लिए नये उद्यमियों को प्रोत्साहित करना था। कार्यशाला के माध्यम से विभिन्न विनिर्माताओं को एक मंच पर लाना और समस्याओं पर चर्चा करके उनका समाधान ढूढ़ने के लिए भी कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में ऍश ब्रिक विनिर्माताओं, नये उद्यमियों आदि सहित 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में ब्रिक बनाने की पद्धति के बारे में समझाया गया और गुणवत्तापूर्ण ब्रिक उत्पादन पर जोर दिया गया। एनटीपीसी ने बताया कि एनटीपीसी स्टेशनों पर फ्लाई ऍश "निःशुल्क" उपलब्ध है।
एनटीपीसी तालचर-कनिहा द्वारा 17.07.2017 को जागरूकता/प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया
एनटीपीसी तालचर कनिहा द्वारा 17.07.2017 को ओदश स्टेडियम में फ्लाई ऍश ब्रिक पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुमन मिन्ज, अपर तहसीलदार पलाहारा द्वारा की गई। इस अवसर पर श्रीमती रश्मिता प्रियदर्शनी, एसपीसीबी अधिकारी, अंगुल क्षेत्रीय कार्यालय और श्री ए.के. कमिला, एजीएम (ईएमजी/एयू), एनटीपीसी कनिहा उपस्थित थे।
कार्यक्रम में फ्लाई ऍश ब्रिक विनिर्माताओं, ब्रिक उपयोगकर्ताओं के साथ ही मेसॅनरी कामगारों में भाग लिया। कार्यक्रम में लगभग 120 व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम में फ्लाई ऍश का उपयोग कर चुके प्रतिभागियों ने अपने विचार एवं अनुभवों को साझा किया। ऍश ब्रिक की उपयोग अवधि एवं इसकी मजबूती के संबंध में प्रतिभागियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का अतिथियों द्वारा उत्तर दिया गया। इस अवसर पर अपर तहसीलदार, पलाहारा सुमन मिन्ज ने अपने संबोधन में फ्लाई ऍश ब्रिक के उपयोग के लाभ एवं पर्यावरण पर क्ले ब्रिक्स के प्रभाव के बारे में बताया। अपने संक्षिप्त संबोधन में उन्होंने निर्माण कार्यकलापों में फ्लाई ऍश ब्रिक का उपयोग करने पर जोर दिया।
उप अभियंता, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अंगुल क्षेत्रीय कार्यालय, श्रीमती रश्मिता प्रियदर्शनी ने इसकी लागत प्रभावकारिता एवं गुणवत्ता के संबंध में फ्लाई ऍश ब्रिक के लाभों को समझाया। उन्होंने बीआईएस मानकों के अनुसार ब्रिक्स की गुणवत्ता बनाये रखने एवं क्ले ब्रिक्स के स्थान पर ऍश ब्रिक्स को चुनने के लिए उपयोगकर्ताओं का विश्वास जीतने पर जोर दिया। एनटीपीसी ने बताया कि एनटीपीसी स्टेशनों पर फ्लाई ऍश "निःशुल्क" उपलब्ध है।
एनटीपीसी मौदा द्वारा 25.07.2017 को ईडीसी मौदा में जागरूकता/प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया
एनटीपीसी, मौदा द्वारा 25 जुलाई, 2017 को प्रशिक्षण केन्द्र में "ऍश ब्रिक विनिर्माण" पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न फ्लाई ऍश ब्रिक तकनीकों के बारे में उद्यमियों के बीच जागरूकता बढ़ाना और नये उद्यमियों को प्रोत्साहित करना था। कार्यशाला विभिन्न विनिर्माताओं को एक मंच पर लाने एवं उनकी समस्याओं पर चर्चा कर उनका उचित समाधान करने के लिए भी आयोजित की गई। कार्यशाला में ब्रिक विनिर्माताओं, नये उद्यमियों आदि सहित 40 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
श्री ए. के. नंदा, सीजीएम, एनटीपीसी-मौदा द्वारा सभी प्रतिभागियों एवं संकाय सदस्यों के स्वागत के साथ कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। एजीएम, ऍश उपयोग ने स्वागत भाषण दिया जिसमें उन्होंने फ्लाई ऍश के विभिन्न उपयोगों के बारे में बताते हुए कहा कि विवेकपूर्वक उपयोग करने पर अपशिष्ट को भी एक लाभदायक संसाधन के रूप में बदला जा सकता है। श्री के.एस. राव, जीएम (ओएंडएम), एनटीपीसी मौदा ने भी कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीमेंट, कंक्रीट, कंक्रीट उत्पाद, ब्रिक्स/टाइल्स आदि के साथ ही सड़कों, किनारों, जलाशयों, डाइक के निर्माण एवं अन्य किसी भी निर्माण कार्यकलाप में ऍश का उपयोग करने पर जोर दिया। जीएम (ओ) एनटीपीसी मौदा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए इस व्यवसाय को अपनाने के लाभों पर संक्षिप्त जानकारी दी और ब्रिक विनिर्माण प्रयोजन के लिए फ्लाई ऍश के उपयोग के इच्छुक उद्यमियों को हर प्रकार की सहायता देने का भरोसा दिया। एनटीपीसी ने बताया कि एनटीपीसी स्टेशनों पर फ्लाई ऍश "निःशुल्क" उपलब्ध है।
एनटीपीसी रिहन्द द्वारा 28.07.2017 एवं 09.08.2017 को जागरूकता/प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया
एनटीपीसी, रिहन्द द्वारा 28 जुलाई, 2017 को सरसोटी, जिला-सोनभद्र (उ.प्र.) में और 09.08.2017 को मयूरपुर ब्लॉक, जिला-सोनभद्र (उ.प्र.) में "ऍश ब्रिक विनिर्माण" पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न फ्लाई ऍश ब्रिक तकनीकों के बारे में उद्यमियों के बीच जागरूकता बढ़ाना और नये उद्यमियों को प्रोत्साहित करना था। कार्यशाला विभिन्न विनिर्माताओं को एक मंच पर लाने एवं उनकी समस्याओं पर चर्चा कर उनका उचित समाधान करने के लिए भी आयोजित की गई। कार्यशाला में ब्रिक विनिर्माताओं, नये उद्यमियों, स्थानीय ग्रामवासी आदि सहित 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यशाला में लाल ईंट की जगह फ्लाई ऍश ब्रिक्स लगाने के लाभ और फ्लाई ऍश ब्रिक बनाने की प्रक्रिया को समझाया गया। फ्लाई ऍश ब्रिक्स, उच्च वॉल्यूम ऍश क्ले ब्रिक्स, सड़क के किनारों, सीमेंट कंक्रीट और कृषि में ऍश के उपयोग पर जानकारी से शामिल भी पत्रिका प्रतिभागियों के बीच बांटी गई। जिला प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरणों के साथ ब्रिक विनिर्माताओं एवं स्थानीय लोगों ने कार्यशाला में भाग लिया। कार्यशाला में ब्रिक विनिर्माण यूनिटों एवं स्थानीय उद्यमियों को मिलाकर लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। एनटीपीसी ने बताया कि एनटीपीसी स्टेशनों पर फ्लाई ऍश ”निःशुल्क” उपलब्ध है।
एनटीपीसी विंध्याचल द्वारा 31.07.2017 को जागरूकता/प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया
एनटीपीसी विंध्याचल द्वारा 31.07.2017 को फ्लाई ऍश ब्रिक्स का विनिर्माण एवं उपयोग पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में कुल 57 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
खुले सत्र में एनटीपीसी विंध्याचल ने फ्लाई ऍश ब्रिक विनिर्माण, अच्छी गुणवत्ता के ब्रिक्स विनिर्माण के लिए आदर्श कच्चा मिश्रित डिजाइन आदि की बेहतरीन पद्धतियों के बारे में बताया जिससे बड़ी संख्या में लोग इसे अपना सकें। इसके अलावा, निम्नलिखित विषयों पर विभिन्न ऍश ब्रिक विनिर्माताओं द्वारा एक केस स्टडी पर भी चर्चा की गई :
- ऍश ब्रिक विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान आने वाली समस्या और उनके द्वारा अपनी कच्चा मिश्रण डिजाइन एवं विनिर्माण प्रक्रिया में किया गया बदलाव
- फ्लाई ऍश ब्रिक्स की जांच
- फ्लाई ऍश की मार्केटिंग के संबंध में उनके द्वारा अपनाई गई पद्धति
- ऍश ब्रिक उत्पादन की लागत
- टूट-फूट कम करने के लिए ऍश ब्रिक की बेहतरीन संचालन पद्धतियां
- ऍश ब्रिक की दीवार के निर्माण के समय अपनाई गई पद्धतियां
- फ्लाई ऍश ब्रिक्स के संबंध में एनटीपीसी विडियो की स्क्रीनिंग के साथ कार्यशाला में केवल फ्लाई ऍश से निर्मित मकानों की फोटोग्राफ भी दिखाई गई। एनटीपीसी ने बताया कि एनटीपीसी स्टेशनों पर फ्लाई ऍश "निःशुल्क" उपलब्ध है।

एनटीपीसी कोरबा द्वारा 29.07.2017 को सामुदायिक भवन, धनरास गावं, कोरबा (छत्तीसगढ़) में ऍश ब्रिक पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में सीईसीबी, कोरबा के प्रतिनिधि श्री मानिक चंदेल और पूर्व संरपंच श्री छत्रपाल सिंह कंवर के साथ लगभग 50 ग्रामवासियों ने भाग लिया। एनटीपीसी की ओर से श्री एस.के सनबाद, श्री सुधीर कुमार अग्रवाल और श्री वी.आर. ठाकुर इस जागरूकता कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यशाला में ऍश ब्रिक विनिर्माण, इसके उपयोग, लाल ब्रिक की तुलना में इसकी बेहतर गुणवत्ता/मजबूती और इसकी सस्ती कीमत पर चर्चा की गई। लोगों को ऍश ब्रिक का विनिर्माण करने एवं इसे अपनी आजीविका का एक स्रोत बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। श्री मानिक चंदेल एवं श्री छत्रपाल सिंह कंवर ने एनटीपीसी/कोरबा द्वारा विनिर्मित किये जा रहे ऍश ब्रिक की गुणवत्ता के बारे में अपने विचार व्यक्त किये गये और उनका व्यापक उपयोग करने के लिए कहा। एनटीपीसी ने बताया कि एनटीपीसी स्टेशनों पर फ्लाई ऍश "निःशुल्क" उपलब्ध है।
एनटीपीसी रामागुंडम में 26.08.2017 को जागरूकता/प्रशिक्षण कार्यशाला


एनटीपीसी रामागुंडम द्वारा 26.08.2017 को रामागुंडम के प्रशिक्षण केन्द्र में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में क्ले ब्रिक विनिर्माताओं एवं फ्लाई ऍश विनिर्माण यूनिटों के लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में प्रतिभागियों को अच्छी गुणवत्ता के ब्रिक्स बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया और उन्हें सूचित किया कि एनटीपीसी रामागुंडम में फ्लाई ऍश "निःशुल्क" उपलब्ध है।
एनटीपीसी ऊंचाहार में 29.08.2017 को जागरूकता/प्रशिक्षण कार्यशाला


एनटीपीसी ऊंचाहार द्वारा 29.08.2017 को ऊंचाहार में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में क्ले ब्रिक विनिर्माताओं एवं फ्लाई ऍश विनिर्माण यूनिटों के लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में प्रतिभागियों को अच्छी गुणवत्ता के ब्रिक्स बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया और उन्हें सूचित किया कि एनटीपीसी ऊंचाहार में फ्लाई ऍश "निःशुल्क" उपलब्ध है।
पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार ने अपनी 3 नवम्बर, 2009 की अधिसूचना (संशोधित) द्वारा निम्नलिखित को अनिवार्य बना दिया है:
किसी कोयला ताप विद्युत संयंत्र के 100 कि.मी. के दायरे में
- सभी निर्माण परियोजनाओं में उड़न राख आधारित भवन निर्माण उत्पाद जैसे कि सीमेंट या कंक्रीट, उड़न राख ईंटें, ब्लाक, टाइल आदि का इस्तेमाल करना
- सड़क या फ्लाई ओवर तटबंध के निर्माण में उड़न राख का इस्तेमाल करना
- निचले क्षेत्रों के सुधार के लिए उड़न राख का इस्तेमाल करना।
किसी कोयला ताप विद्युत संयत्र के 50 कि.मी. के भीतर
- भूमिगत खदानों और खुली खदानों की बैक फिलिंग के लिए उड़न राख का इस्तेमाल करना।
इस अधिसूचना के अनुपालन के लिए वित्तीय संस्थाएं अपने ऋण दस्तावेजों में एक खंड जोड़ेंगी।
बड़ी परियोजनाएं जहां उड़न राख का इस्तेमाल किया गया है:
सड़क तटबंध निर्माण तथा भराई सम्बन्धी निर्माण कार्य:
- इलाहाबाद बाई पास रोड के लिए एन एच ए आई द्वारा एन टी पी सी ऊंचाहार स्टेशन की 67 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई है।
- नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे में एन टी पी सी बदरपुर स्टेशन की 20 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई है।
- दूसरे निजामुद्दीन पहुंच मार्ग तटबंध में इंद्रप्रस्थ थर्मल पावर स्टेशन की लगभग 1.5 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई है।
- यमुना एक्सप्रेसवे तथा बदरपुर फ्लाई ओवर में एन टी पी सी बदरपुर स्टेशन की लगभग 5.0 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई है।
- दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डी एम आर सी) द्वारा अपने शास्त्री पार्क रेल पार्क डिपो के लिए एन टी पी सी बदपुर स्टेशन की 15 लाख क्यूबिक मीटर पौंड ऐश इस्तेमाल की गई।
कंक्रीट कार्य:
- डी एम आर सी द्वारा सभी भूमिगत कंक्रीट कार्यो के लिए एनटीपीसी दादरी स्टेशन की उड़न राख इस्तेमाल में लाई जा रही है।
- सभी रेडी मिक्स कंक्रीट संयंत्रों (आर एम सी) द्वारा उड़न राख का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- ए सी सी द्वारा अपने ग्रेटर नोएडा स्थित आर एम सी संयंत्र के कंक्रीट रोड में उड़न राख का इस्तेमाल किया गया है।
- देहरा झाल से एन टी पी सी दादरी तक कंक्रीट रोड के निर्माण में उड़न राख का इस्तेमाल किया गया है।
भवन निर्माण कार्य
- ग्रेटर नोएडा इंडास्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (जी एन आई डी ए) के प्रशासनिक भवन का निर्माण उड़न राख ईंटों से किया गया है।
- एन टी पी सी द्वारा अपने भवनों के निर्माण कार्यो में उड़न राख ईंटों का उपयोग किया गया ।
- ग्रेटर नोएडा में NETRA
- नोएडा टाउनशिप में 'डी' प्रकार के आवासीय क्वार्टर्स
- लखनऊ में उत्तरी क्षेत्र का मुख्यालय
- सभी परियोजनाएं एवं टाउनशिप निर्माण
- बहुत से महानगरीय शहरों जैसे कि पुणे, विशाखापट्टनम और एन सी आर क्षेत्रों में निजी क्षेत्र में रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा आवासीय परिसरों के निर्माण में उड़न राख ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
खानों का भरना:
- साउथ बलन्दा खान में एन टी पी सी तालचर-कोयला ताप संयंत्र की राख भरी जा रही है।
राख के उपयोग के दीर्घकालिक क्षमता वाले नए घटकों के विकास के लिए निम्नलिखित अनुसंधान किए जा रहे हैं:
रेलवे तटबंध:
रेलवे तटबंध के निर्माण में राख के उपयोग को प्रदर्शित करने के लिए केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सी आर आर आई), नई दिल्ली के साथ मिलकर अनुसंधान अध्ययन किया गया था। सी आर आर आई द्वारा विकसित किए गए रेलवे तटबंध की डिजाइन को आई आई टी, बाम्बे में सेंट्रीफ्यूज मॉडल टेस्ट कर विधिमान्यता दी गई। कोयले के परिवहन के लिए एन टी पी सी के मेरी गो राउंड (एम जी आर) रेल ट्रैक के लिए तटबंध के निर्माण की योजना एन टी पी सी कहलगांव और एन टी पी सी तालचर-कनीहा में बनाई गई है।
खानों को भरना:
- दीर्घकालिक आधार पर विद्युत संयंत्रों से राख ले जाने के लिए तकनीकी आर्थिक दृष्टि से इष्टतम तरीके को अंतिम रुप देने के लिए मेसर्स डेजिन द्वारा तालचर कनीहा में व्यवहार्यता अध्ययन किया जा रहा है।
- एन टी पी सी रामागुंडम से मेडापल्ली खान में खदान ओवर बर्डन के साथ राख की औचक भराई के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शन परियोजना शुरु करने के लिए केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान (सी आई एम एफ आर), धनबाद द्वारा अनुसंधान कार्य किया जा रहा है।
प्री स्ट्रेस्ड रेलवे कंक्रीट स्लीपर:
आई आई टी कानपुर के साथ संयुक्त रुप से प्री-स्ट्रेस्ड रेलवे कंक्रीट स्लीपर के विनिर्माण में उड़न राख के इस्तेमाल का प्रदर्शन किया गया।
राख आधारित बिटूमिनस रोड:
सी आर आर आई के सहयोग से एन टी पी सी बदरपुर और दादरी में उड़न राख आधारित बिटूमिनस सड़कों के निर्माण के लिए प्रदर्शन परियोजना शुरु की गई है।
राख निर्मित ईंटें/टाइल:
एन आई आई एस टी त्रिवेंद्रम के सहयोग से एन टी पी सी रामागुंडम में फ्लक्स बांडेड ईंटों/टाइल में उड़न राख के इस्तेमाल के लिए अनुसंधान अध्ययन किया गया है।
एच डी पी ई उत्पाद:
आई आई टी दिल्ली के माध्यम से एन टी पी सी विंध्याचल द्वारा एच डी पी ई उत्पादों के विनिर्माण में उड़न राख के इस्तेमाल के लिए अध्ययन कराया जा रहा है।
- कृषि में राख के इस्तेमाल पर शो केस प्रोजेक्ट्स:
प्रतिष्ठित कृषि संस्थाओं/विश्वविद्यालयों के सीधे मार्गदर्शन में स्थानीय किसानों के सहयोग से “शो केस प्रोजेक्ट्स” के माध्यम से मृदा के शोधक के रुप में तथा सूक्ष्म तथा स्थूल पोषक तत्वों के स्रोत के रुप में कृषि में उड़न राख के इस्तेमाल का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया है।
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय के सहयोग से एन टी पी सी सिम्हाद्रि में
- एन डी कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद (उ.प्र.) के सहयोग से एन टी पी सी ऊंचाहार में
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय के सहयोग से एन टी पी सी तालचर-थर्मल में
- अन्नमलाई विश्वविद्यालय के सहयोग से एन टी पी सी विंध्याचल में
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय के सहयोग ही एन टी पी सी दादरी में
अलग-अलग कृषि जलवायु की परिस्थितियों और भिन्न-भिन्न मृदा- फसल संयोजनों में विभिन्न फसलें उगाई गई हैं तथा फसल की पैदावार में निम्नलिखित वृद्धि देखने को मिली है:
क्र.सं. | फसल का नाम | पैदावार में वृद्धि |
---|---|---|
1 | गेहूं | 16 - 22% |
2 | धान | 10 - 15% |
3 | गन्ना | 20 - 25% |
4 | केला | 25 - 30% |
5 | मक्का | 30% से अधिक |
6 | सब्जियां | 10 - 15% |
विभिन्न घटकों में संसाधन सामग्री के रुप में उड़न राख के अनेक प्रकार के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देने तथा प्रचार करने तथा राख के भावी उपयोगकर्ताओं एवं उद्यमियों में जागरुकता उत्पन्न करने के लिए ए यू डी द्वारा संवर्धन के निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:
PROMOTIONAL_MEASURES