नेत्रा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियों में लिप्त है:
स्टेशनों से शून्य के आस-पास अर्थात न के बराबर तरल पदार्थों का स्राव

प्लांटों के अपशिष्ट तरल पदार्थों को स्टेशनों द्वारा एकत्र और निपटाया जाता है। बदलते हुए परिवेश में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि प्लांटों से तरल पदार्थों का उत्सर्जन शून्य अर्थात न के बराबर होना चाहिए। इसके अलावा पानी की उपलब्धता और इसकी लागत प्लांटों के लिए बड़ी बाधा अर्थात चिंता के प्रमुख विषय होने वाले हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए नेत्रा पावर स्टेशनों पर पायलट डेमो प्लांटों की स्था्पना द्वारा अपशिष्ट जल की लागत प्रभावी रिसाइकिलिंग प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहा है। अल्ट्रा फिल्ट्रेशन (Ultrafilteration) और रिवर्स ऑसमोसिस तकनीकों (Reverse Osmosis Techniques) का उपयोग कर दो स्टेशनों के लिए अध्ययन पूरा कर लिया गया है।
अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकियाँ

कुछ प्लांटों में कच्चे पानी की गुणवत्ता बहुत खराब (लगभग पतले मल के समतुल्य) है। इस पानी के कारण प्रचालन संबंधी बहुत सी समस्याएं जैसे कंडेंसर ट्यूबों का अच्छी तरह से काम न करना और उनका क्षरण, डीएम जल की कमजोर गुणवत्ता, बॉयलर ट्यूब लीकेज में वृद्धि आदि पैदा हो जाती हैं। इसके अलावा अधिकांश पावर प्लांटों में सीवेज उपचार प्लांटों की स्थापाना की गई है और उनमें कई प्लांट ठीक ढंग से कार्य नहीं कर रहे हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए नेत्रा ने साइट के अनुकूल अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकियों के विकास के साथ-साथ सीवेज उपचार प्लांट प्रचालन के इष्टतमीकरण के लिए भी पहल प्रारंभ की हैं।