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प्रेस विज्ञप्ति
नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का तीव्र विकास सर्वोच्च प्राथमिकता – सुरेश प्रभु
07th नवम्बर, 2015
नई दिल्ली में एनटीपीसी के दूसरे ‘वैश्विक ऊर्जा प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन गेट्स 2015’ का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि प्रौद्योगिकी विकास, आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन से निपटना और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का विकास आवश्यक है। अपने संबोधन में श्री प्रभु ने 40 वर्षों की उद्देश्यपूर्ण उपस्थिति और देश का चमकता सितारा होने के लिए एनटीपीसी को बधाई दी। दीर्घस्थायित्व की आवश्यकता के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हो सकता है जलवायु परिवर्तन सिंधु घाटी जैसी महान सभ्यता के पतन का कारण रहा हो। उन्होंने यह भी कहा कि यथासंभव सबसे कम समय में विभिन्न ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बदलना दुनिया के लिए एक चुनौती है। कंपनी के विकास के लिए भावी रणनीति का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के लिए विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए पर संपूर्ण ऊर्जा समाधान उपलब्ध कराने का समय आ गया है। श्री प्रभु द्वारा गेट्स 2015 में प्रस्तुत शोध पत्रों का संक्षिप्त सार प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग श्री आशुतोष शर्मा, और एनटीपीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री अनिल कुमार झा, भी उपस्थित थे।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो आशुतोष शर्मा ने अपने संबोधन में पिछले 40 वर्षों से देश में बिजली के परिदृश्य को स्थायित्व प्रदान करने में एनटीपीसी की भूमिका की सराहना की। उन्होंने बल देकर कहा कि प्रौद्योगिकी को अलग रूप में नहीं देखा जा सकता है और इसका जल, स्वास्थ्य, जलवायु और अन्य सामाजिक पहलुओं पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी अनिवार्य रूप से वैश्विक होनी चाहिए जिसमें स्थानीय आवश्यकताओं के साथ दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान शामिल हों। उन्होंने कहा कि स्वच्छ कोयले प्रौद्योगिकी प्रासंगिक रहेगी क्योंकि निकट भविष्य में ऊर्जा के क्षेत्र में कोयला का बहुत बड़ा योगदान रहेगा। उन्होंने इस संबंध में योगदान करने के लिए प्रौद्योगिकीविदों, वैज्ञानिकों, नागरिकों और छात्रों के नवोन्मेषी विचारों को आमंत्रित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए सीएमडी, एनटीपीसी, श्री अनिल कुमार झा, ने जोर दिया कि पर्यावरणीय स्थिरता मानवता के सामने एक बड़ी चुनौती है और नवीकरणीय ऊर्जा वर्ष 2030 तक दुनिया के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत बन जाएगी। उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए गेट्स 2014 प्रौद्योगिकियों से 47 शोधपत्रों को चुना गया गया जिनमें से 24 विचारों का वर्तमान में कार्यान्वयन किया जा रहा है।
समारोह में आगे उद्घाटन सत्र के बाद आईईए पेरिस, आल्सटॉम स्विट्जरलैंड, भारतीय विद्युत क्षेत्र से आए प्रख्यात वक्ताओं के साथ एक पैनल चर्चा हुई।
कुल मिलाकर 181 शोधपत्र स्वीकार किए गए और 84 शोधपत्रों को प्रस्तुत करने के लिए चुना गया है जिनमें से 41 अंतरराष्ट्रीय शोधपत्र हैं। शेष स्वीकृत शोधपत्र उस संग्रह का हिस्सा है जो उद्घाटन समारोह में जारी किया गया।
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