एनटीपीसी निदेशक मण्डल संगठन के सम्पूर्ण दर्शन तथा दिशा को निर्देशित करता है एवं इसकी एक संगठित दृष्टी है...
"भारत के विकास को ऊर्जा प्रदान करते हुए विश्व की अग्रणी विद्युत कंपनी बनना"
एनटीपीसी निदेशक मण्डल संगठन के सम्पूर्ण दर्शन तथा दिशा को निर्देशित करता है एवं इसकी एक संगठित दृष्टी है...
"भारत के विकास को ऊर्जा प्रदान करते हुए विश्व की अग्रणी विद्युत कंपनी बनना"
श्री गुरदीप सिंह, 51 वर्ष, मेकैनिकल इंजीनियर है। उन्हें विद्युत उत्पादन क्षेत्र में 28 वर्षों से अधिक का अनुभव प्राप्त है। उन्होंने अपने केरियर की शुरुआत एनटीपीसी लिमिटेड के साथ की और भारतीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों नामत: पावरजेन, सीएलपी, आईडीएफसी, सीईएससी और एईएस, में विभिन्न पदों पर काम किया है। उन्हें विद्युत क्षेत्र में व्यवसाय विकास, परियोजना और प्रचालन का भी अनुभव प्राप्त है।
एनटीपीसी में कार्यभार संभालने के पहले श्री सिंह गुजरात राज्य विद्युत निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक थे।
श्री अनिल कुमार गौतम वाणिज्य में स्नातक और द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेन्ट ऑफ इंडिया के फैलो सदस्य हैं। वह विधि में भी स्नातक हैं। उन्होंने वर्ष 1984 में एनटीपीसी में पद संभाला। उन्हें पावर सैक्टर में अंतर्देशीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों से संसाधन जुटाने, दीर्घकालिक वित्तीय आयोजना, कराधान, बजटींग, निवेश मूल्यांकनों, निवेशक सेवाओं और विनिमयन संबंधी मामलों सहित वित्त एवं लेखा के विभिन्न पहलुओं का 34 वर्षों का प्रचुर अनुभव है। उन्हें 1 अगस्त, 2019 से मुख्य वित्त अधिकारी के पद पर भी नियुक्त किया गया था।
श्री दिलीप कुमार पटेल ने 1 अप्रैल, 2020 को निदेशक (मानव संसाधन) का पदभार संभाला। उन्होंने इंजीनियरिंग इक्जिक्युटिव (11वां बैच) के रूप में 1986 में एनटीपीसी में अपना करियर आरंभ किया था। श्री पटेल की इक्जिक्युटिव ट्रेनी के पद पर साधारण-सी शुरूआत से लेकर एनटीपीसी में मानव संसाधन फंक्शन के शीर्ष नेतृत्व तक उन्नति उनके कार्य के प्रति लगाव, प्रतिबद्धता और मेहनत को दर्शाती है। उन्होंने एनआईटी, राउरकेला से मैकेनिकल इंजीनियरी में स्नातक किया और एमडीआई, गुरूग्राम से बिजनेस मैनेजमेंट (एचआर एवं फाइनेंस) में अपना स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया था। उन्होंने ईएससीपी-ईएपी (पेरिस, बर्लिन और तुरिन), हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (यू०एस०ए०) आईएसबी हैदराबाद और एक्स एल आर आई जमशेदपुर से भी प्रबंधन एवं नेतृत्व में प्रशिक्षण-ज्ञान प्राप्त किया है।
उनका लाइन और एचआर फंक्शनों का सम्मिलित रूप से तीन दशक से अधिक लम्बे समय का लम्बा यशस्वी करियर रहा है। ओएंडएम (मैकेनिकल मेन्टेनैन्स एवं सीएचपी ऑपरेशन) और कोरबा में ईडीसी में शुरूआती कार्यानुभव के पश्चात् उन्होंने करियर में छलांग लगाई और 1997 में मुख्य एचआर फंक्शन में करियर परिवर्तन किया। उन्होंने कोरबा में एचआर के विभिन्न पहलुओं का कार्य संभाला और तदनंतर एनटीपीसी की प्रथम जलविद्युत परियोजना कोलडैम के एचआर प्रमुख बन गए। वह लगभग 13 वर्षों के लिए एनएसपीसीएल-भिलाई, सीपत और टांडा जैसी एनटीपीसी की विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं में एचआर प्रमुख रहे थे। एनटीपीसी में निदेशक (एचआर) के पद पर नियुक्त किए जाने से पूर्व वह लघु काल के लिए पूर्वी क्षेत्र-II के क्षेत्रीय प्रमुख के पद पर रहे।
उन्होंने सौंपे गए विभिन्न चुनौतीपूर्ण कार्यों को संभाला है और थर्मल, जलविद्युत, संयुक्त उद्यमों के साथ-साथ अधिग्रहित परियोजनाओं वाले विभिन्न कार्यस्थलों पर कार्य करते हुए मानव संसाधन प्रकार्यों (फंक्शन) का सफल प्रबंधन किया है। ‘’पीएलएफ से पूर्व इन्सान’’ के दर्शन में उनका दृढ विश्वास है। उनकी संगठन की अंतर्निहित संस्कृति की गहरी समझ और बहुआयामी अनुभव से मानव संसाधन को श्रेष्ठतम बनाने और आने वाले समय में एनटीपीसी में नई ऊंचाइयों को छूने में सहायता मिलेगी।
एनआईटी श्रीनगर से एक मैकेनिकल इंजीनियरी में स्नातक और आईआईटी दिल्ली से थर्मल इंजीनियरी में मास्टर श्री बाबू वी ने 1987 में 12वां बैच कार्यकारी प्रशिक्षु के रूप में एनटीपीसी में पदभार ग्रहण किया। इन्हें विद्युत संयंत्र प्रचालन एवं रख-रखाव के क्षेत्र में विशाल आकार के संयंत्रों के प्रबंध, पुरानी ईकाइयों के नवीकरण एवं आधुनिकीकरण और थर्मल संयंत्रों के सिस्टमों में सुधार करने एवं कार्य कुशल बनाने के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान सहित 32 वर्षों का विस्तृत अनुभव है। एक पेशेवर प्रबंधक और रणनीतिक योजनाकार के रूप में इन्होंने संयंत्रों की विश्वसनीयता और कार्यकुशलता में सुधार के लिए की गई अनेक पहलों का नेतृत्व किया है।
श्री रमेश बाबू के पावर सेक्टर के अनुभव में एनटीपीसी तालचर कनिहा और एनएसपीसीएल दुर्गापुर के बिजनेस यूनिट हेड के पद पर वरिष्ठ प्रबंधन स्तर का कार्यनुभव सम्मिलित है। निदेशक (प्रचालन) के पद पर उन्नयन से पूर्व, वह सीएमडी के ईडी के पद पर कार्यरत थे और एनटीपीसी पावर संयंत्रों की प्रचालनात्मक उत्कृष्टता से संबंधित कार्यनीतियों और प्रणाली सुधार कार्यकलापों के विषय पर काम कर रहे थे। निदेशक (प्रचालन) एनटीपीसी के पद पर उनका दायित्व सभी पावर स्टेशनों की ईंधन सुरक्षा एवं पर्यावरण अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए एनटीपीसी समूह पोर्ट फोलियो के सभी पावर उत्पादक स्टेशनों की सुरक्षा, विश्वसनीयता और कुशल प्रचालन से संबंधित समग्र आयोजना का है।
श्री विवेक कुमार देवांगन मणिपुर कैडर (1993 बैच) के एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी (DIN : 01377212 ) (आयु 51 वर्ष) श्री विवेक कुमार देवांगन एन आई टी भोपाल से इलैक्ट्रॉनिकी में बी.ई. और आईआईटी दिल्ली से ऑप्टोइलैक्ट्रॉनिकी एवं ऑप्टिकल कम्यूनिकेशन में पी.जी. हैं। आईएएस अधिकारी के रूप में 25 वर्ष के अपने यशस्वी करियर के दौरान, वह वित्त विद्युत / ऊर्जा, निर्वाचन / विधि एवं न्याय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय [कार्पोरेट कार्य / कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग] शिक्षा/मानव संसाधन विकास, रेशम उत्पादन / कृषि एवं सहकारिता, आर्थिक कार्य, अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी, पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, जिला प्रशासन [छत्तीसगढ के जिले सरगुजा एवं रायपुर और मणिपुर का सेनापति जिला] मंडलीय प्रशासन के क्षेत्रों में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहे हैं।
श्री आशीष उपाध्याय (डीआईएन 06855349) (आयु 55 वर्ष) भा.प्र.से. अपर सचिव एवं वित्त सलाहकार विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार ने 22.01.2020 को एनटीपीसी के बोर्ड में अंशकालिक सरकारी निदेशक के पद पर पदभार ग्रहण किया था| श्री उपाध्याय मध्य प्रदेश कैडर के 1989 बैच के भा.प्र.से. अधिकारी हैं। सेंट जॉन कॉलेज, आगरा से इतिहास में अपनी स्नातकोत्तर पूर्ण करने के पश्चात् उन्होंने सिविल सेवा की नौकरी शुरू की और अपर जिला कलेक्टर के पद पर अनुपपुर, शहदोल और उमरिया के कोयला उत्पादन क्षेत्रों के कार्यकाल सहित मध्य प्रदेश की राज्य सरकार में विभिन्न पदों पर 31 वर्षों से अधिक की सेवा की है। वह एम.पी. और छत्तीसगढ के 3 जिलों के 5 वर्षों से अधिक के लिए कलेक्टर रहे हैं। श्री उपाध्याय ने अनेक वर्षों के लिए गृह, उच्च शिक्षा और वित्त सहित विभिन्न विभागों के सचिव और प्रधान सचिव के पदों पर राज्य स्तर पर सेवा की है। संयुक्त सचिव, कोयला के रूप में वह अवैध खनन के जोखिम पर नियंत्रण के लिए अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के माध्यम के युक्ति विकसित करने में करण-कारक रहे हैं। उनका अकादमिक झुकाव है और सेवा में रहते हुए, उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी तथा अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर एवं एलएलबी पूर्ण की। उन्होंने मैक्सवैल स्कूल ऑफ सिटीजनशिप, साइराकूज विश्वविद्यालय, यू.एस.ए. से लोक प्रशासन में मास्टर की डिग्री भी ली है। श्री उपाध्याय 14 नवंबर, 2019 से अपर सचिव एवं वित्त सलाहकार, विद्युत मंत्रालय के पद पर कार्यरत हैं।
डॉ. के.पी.के. पिल्लै [आयु 62 वर्ष], [डीआईएनः 08189583], वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्चतम न्यायालय अंग्रेजी में स्नातकोत्तर, इतिहास में स्नातकोत्तर और एलएलएम हैं। उन्होंने स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज़, विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोचीन विश्वविद्यालय, कोच्चि में अंशकालिक शोध किया और विधि में पी.एच.डी. प्राप्त की। उन्होंने 1987 में तिरूवंतपुरम के जिला एवं सत्र न्यायालयों में कानून के पेशेवर वकील के रूप में कार्य शुरू किया और बाद में 1990 में एरनाकुलम में केरल के उच्च न्यायालय में स्थानान्तरित हो गए। तदंनतर, उन्होंने 2005 में प्रैक्टिस दिल्ली में स्थानांतरित कर ली। वर्तमान में, वह मुख्य रूप से भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश होते हैं। वह विभिन्न अवधि काल में केरल में विभिन्न विश्वविद्यालयों के विधि कॉलेजों में पार्ट टाइम और विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर काम कर चुके हैं। वह राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल में न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए संसाधक (रिसोर्स पर्सन) रह चुके हैं। अब, वह कोच्चि में आधुनिक विधि अध्ययन से संबंधित राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में पी.एच.डी. के लिए अनुमोदित परिदर्शक (गाईड) हैं और उनके अधीन दो सहायक प्रोफेसर शोध कर रहे हैं। वह केरल की बार काउंसिल के लिए दो बार निर्वाचित हुए हैं और एक कार्यकाल में वह केरल की बार काउंसिल के उपाध्यक्ष रहे हैं।
उन्हें 2009 में केरल के माननीय उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पदनामित किया गया था। एक वकील के रूप में, वह सिविल, दांडिक, संवैधानिक और कार्पोरेट अधिकार क्षेत्र के मामलों में उपस्थित होते रहते हैं। उन्होंने केरल के माननीय उच्च न्यायालय और भारत के उच्चतम न्यायालय के समक्ष अनेक लोकहित के मुकदमों को संचालित किया है। उच्चतम न्यायालय में वह राष्ट्रीय वस्त्र निगम (नेशनल टेक्सटाइल कार्पोरेशन) के वकीलों के पैनल पर रहे हैं। वह उच्चतम न्यायालय में महाराष्ट्र सरकार और केन्द्रीय सरकार के वरिष्ठ पैनल में भी रहे हैं। वह सामाजिक-राजनीतिक संगठनों में भी सक्रियतापूर्वक सम्मिलित रहते हुए जिम्मेदारी के पदों पर रहे हैं।
डॉ. भीम सिंह [आयु 62 वर्ष), (डीआईएनः08189580], रूड़की विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश से बी.ई. (इलैक्ट्रिकल), एम.टेक. (पावर अप्रैटस एवं सिस्टम्स) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से पी.एच.डी. हैं। उन्होंने 1983 में, प्रवक्ता के पद पर, इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, रूड़की विश्वविद्यालय (अब आईआईटी, रूड़की) में पदभार ग्रहण किया था। वह 1988 में वहां रीडर बन गए। दिसंबर 1990 में, उन्होंने इलैक्ट्रिकल इंजीनियरी विभाग, आईआईटी दिल्ली में एक सहायक प्रोफेसर के पद पर ज्वाइन किया, जहां वह 1994 में एक एसोशिएट प्रोफेसर और 1997 में एक प्रोफेसर बन गए। वह सितंबर 2007 से सितंबर 2012 तक एबीबी चेयर प्रोफैसर रहे। वह अक्तूबर 2012 से सितंबर 2017 सीईए चेयर प्रोफैसर भी रहे हैं। वह जुलाई 2014 से अगस्त 2016 तक इलैक्ट्रिकल इंजीनियरी विभाग, आईआईटी, दिल्ली के विभाग अध्यक्ष रहे हैं। अगस्त 2016 से वह आईआईटी, दिल्ली में डीन, शैक्षणिक हैं। वह दिसंबर, 2015 से भारत सरकार डीएसटी के जे.सी. बोस फैलो हैं।
प्रो० सिंह 70 पीएचडी के शोध निबंधों और 167 एम.ई./एम. टेक./एम.एस.(आर) थीसिसों के परिदर्शक (गाईड) रहे हैं| उन्होंने 33 पेटेन्ट दर्ज कराए हैं। वह 80 से अधिक प्रायोजित और परामर्शी परियोजनाओं को सम्पन्न कर चुके हैं। वह जॉन विले एण्ड सन्स लिमिटेड 2015 द्वारा प्रकाशित पावर क्वालिटी प्रॉबलम्स एण्ड मिटिगेशन टेकनिक्स: विद्युत गुणवत्ता के विषय पर एक पाठ्य पुस्तक के सह-लेखक हैं।
इनके रूचि के क्षेत्रों में सौर ऊर्जा पीवी ग्रिड इन्टरफेस सिस्टम, माइक्रोग्रिड, विद्युत गुणवत्ता अनुवीक्षण एवं प्रशमन, सौर ऊर्जा पी वी वाटर पम्पिंग सिस्टम, उन्नत पावर क्वालिटी एसी-डीसी कन्वर्टर, पावर इलैक्ट्रोनिकी, बिजली की मशीनें, ड्राइव्स, फ्लैक्सीबल अल्टरनेटिंग ट्रांसमिशन सिस्टम और उच्च वोल्टता डायरेक्ट करेंट सिस्टम शामिल हैं।
उन्हें वर्ष 1991 में रूडकी विश्वविद्यालय का खोसला अनुसंधान पुरस्कार प्राप्त हुआ है। वह पावर इलैक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए द इंस्टिट्यूट ऑफ इलैक्ट्रिानिक्स एण्ड टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियर्स (आईईटीई) के जे सी बोस और बिमल के बोस पुरस्कार से पुरस्कृत हैं| वह विद्युत गुणवत्ता के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट शोध कार्य की मान्यता में भारतीय तकनीकी शिक्षा सोसाइटी (आईएसटीई) के महाराष्ट्र राज्य राष्ट्रीय पुरस्कार से भी पुरस्कृत हैं। इन्हें वर्ष 2006 के लिए पीईएस दिल्ली चैप्टर उत्कृष्ट इंजीनियर पुरस्कार मिला हुआ है। प्रो. खोसला को वर्ष 2013 में आईआईटी रूडकी का खोसला राष्ट्रीय अनुसंधान पुरस्कार मिल चुका है। वह ऊर्जा एवं वांतरिक्ष (एनर्जी एण्ड एयरोस्पेस) सहित इंजीनियरी के क्षेत्र में श्री ओमप्रकाश भसीन पुरस्कार 2014 के प्राप्तकर्ता हैं। प्रो. सिंह को आईईईई पीईएस नारी हिंगोरानी कस्टम पावर अवार्ड-2017 मिल चुका है। वह करियर्स-360 इण्डिया के इंजीनियरी के क्षेत्र में ‘’सर्वाधिक उत्कृष्ट शोधकर्ता के रूप में फैकल्टी शोध पुरस्कार” से भी समानित हैं।